bible study enoch book सर्प का वंश

 

         bible study enoch book सर्प का वंश 


बाइबल - मानव इतिहास की सबसे प्राचीन पुस्तक है जिसके वचनों पर आंख बंद करके विश्वास करने  में किसी को  कोई संदेह नही है।  परमेश्वर की बुद्धी, उसकी इच्छा, उसकी आज्ञाओं तथा उसके दैवीय कार्यो का संग्रह बाइबल है। आज के युग में बाइबल के लेंखों को पुरातत्वेत्ताओं तथा विज्ञानीकों द्वारा सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है। उनका मानना है कि बाइबल में दर्ज रिकार्ड बिना किसी गलती के एकदम स्पष्ट, सटीक एवं सही है।

      बाइबल के इन्ही प्रामाणिक रिकार्ड में बताया गया है कि अदन कि वाटिका से निष्कासित किये जाने के बाद प्रारंभिक मनुष्य गुफाओं में रहा करते थे (अय्यूब 30 :6; उत्प 19 :30) अत्यंत साधारण जीवन जीते थे तथा उनकी जीवनशैली भी अत्यंत साधारण थी .परन्तु अचानक हि कुछ हो गया, अचानक से हि मनुष्य ने पिरामिड तथा विशालकाय एवं भीमकाय इमारतें तह मिनारे बनानी शुरू कर दि। गुफाओं में रहने वाले मनुष्य ने अचानक से हि विभिन्न वस्तूओं के आविष्कार करने शुरू कर दिए।  ( उत्प 4:20-22) अचानक से हि मनुष्य के पास इंजीनियरींग, खगोल-विद्या तथा तकनीक का इतना ज्ञान आ गया। आविष्करो को करने कि तथा दैत्याकार इमारतों को बनाने कि तकनीक मनुष्य को अचानक कैसे मिल गई? 

अचानक से हि मनुष्य ने "पहिये " का आविष्कार कर लिया जिससे सम्पूर्ण  मानव इतिहास बदल गय।. अचानक हि मनुष्य के पास खनन तकनीक आ गई। अचानक से हि मनुष्य ने खनन उद्योग स्थापित कर लिये  (उत्प 4:22) गुफाओं में रहने वाले मनुष्य को अचानक हि यह   कैसे पता चल गया कि धरती में खनिज पाए जाते है? 

यदि उसने खुदाई करके खनिजों को खोज भी लिया था, तो उसको यह कैसे पता चला कि इन  खनिजो को पिघला कर इनको मनचाहे आकार में ढाला जा सकता है? कैसे अचानक मानव सभ्यताओं का विकास होना शुरू हो गया?  

सब कुछ अचानक कैसे बदल गया? गुफाओं में रहनेवाले मनुष्यो कि जीवनशैली अचानक से हि पुरी तरह कैसे बदल गई? पत्थर युग में जीनेवाले मनुष्य अचानक से हि इतने सभ्य एवं आधुनिक कैसे बन गए?


     प्रिय पाठकों , यही वह खोई हुई कड़ी  है जिसके विषय में हम इस अध्याय में जानने जा रहे है। बाइबल को तथा हमारे  भौतिक एवं आत्मिक संसार को पुरी तरह समझने के लिये इस खोई हुई कड़ी  को जनना अत्यंत आवश्यक है क्योंकी इस खोई हुई कड़ी  को जाने बिना हम बाइबल को कभी नही समझ सकते है,

बाइबल के उन गुप्त भेदों को जिनको जनना हम अपनी क्षमता से परे समझते है, इस खोई हुई कड़ी  के जुडने से अदभूत रूप से खुलते हुए नजर आते है। आखिर क्या है यह खोई हुई कड़ी ? कैसे इस खोई हुई कड़ी के तिलीस्म को तोडा जा सकता है?



          परमेश्वर के पुत्रों का धरती पर उतर  आना     

      

उत्पत्ति कि पुस्तक में इस बात को स्पष्ट रूप से बताया गया है कि , "जब मनुष्य भूमी के उपर बहुत बढने लगे और उनके बेटीयां उत्पन्न हुई, तब परमेश्वर के पुत्रोंने मनुष्य कि पुत्रीयों को देखा, कि वे सुन्दर है, उन्होंने जिस जिसको चाहा उनसे ब्याह कर लिया  (उत्प 6:1-2 ) बायबल इस बात को साफ शब्दों में बताती है कि इतिहास में कुछ स्वर्गदूत व्यभिचार के पाप में गिर गये थे तथा उन्होंने मानव पुत्रियों से विवाह कर संतान भी उत्पन्न कर ली थी।

             "और इसके पश्चात जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य कि पुत्रियों के पास गये तब उनके द्वारा जो संतान उत्पन्न हुए, वे शूरवीर होते थे जिनकी कीर्ति प्राचीनकाल से प्रचलित है" ( उत्प 6:4  )   

चूकिं इन स्वर्गदूतों द्वारा किये गये इस कृत्य से पृथ्वी पर पाप अपने आप चरम पर पंहुच चुका था इसीलिये परमेश्वरने जलप्रलय के  द्वारा पुरी सृष्टी को नष्ट कर दिया था। और इन स्वर्गदूतों  को सदा काल तक के लिये अथाह कुंड में बंद कर दिया था। (2 पत.2:4; यहूदा कि पत्री 1:6)


                  ध्यान देने योग्य है कि उत्पत्ती कि पुस्तक में "हनोक" नामक व्यक्ती के बारे में बताया गया है जो इतना धर्मी था कि परमेश्वर ने उसे जीवित हि स्वर्ग उठा लिया था  (उत्प.5:21-24) इसी कारण सम्पूर्ण बाइबल में हनोक  का तीन बार उल्लेख किया गया है   (उत्प.5:21-24; इब्रा.11:5, यहूदा कि पत्री 1:14-15) गौर करनेवाला बिंदू यह है कि नया नियम में यहूदा कि पत्री में हनोक द्वारा लिखित पुस्तक का संदर्भ दिया गया है  (यहूदा 1:14-15 ) जिससे हमें यह पता चलता है कि हनोक ने अपने जीवनकाल में एक पुस्तक लिखी थी जिसकी एक प्रति प्रथम शताब्दी  इसवी में यहूदा के पास भी थी। इसी कारण वह हनोक कि पुस्तक के संदर्भ का उपयोग कलीसिया को शिक्षा देने के लिये करता है। 1900 वर्षों तक बायबल के विद्वान, पुरातत्ववेता आदी हनोक कि पुस्तक कि खोज करते रहे परन्तु यह पुस्तक A.D.135 में रोमन्स द्वारा यरुशलेम के विनाश और यहूदियों के निष्कासन के साथ हि संसार से लोप हो गई थी। परन्तु 1948 में जब Dead Sea Scrolls  के रूप में कुमरान कि गुफाओं से बायबल के प्राचीन लेख प्राप्त हुये तो इन्ही लेखों में हनोक कि प्राचीन पुस्तक कि प्रति भी मिल गई थी। 


                                    हनोक कि पुस्तक मिलने से बायबल के सबसे जटील एवं अनसुलझे भेद खुलने शुरू हो गये। हालांकी यह पूर्णत: सत्य है कि हनोक कि पुस्तक एक नॉन-केनोनिकल  पुस्तक है जिसे बायबल के केनोन में स्थान नही मिला था परन्तु नि:संदेह  यह एक ऐतिहासिक पुस्तक है  क्योंकी यह पुस्तक इतिहास कि उस खोई हुई कड़ी का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करती है जो शताब्दीयों से हमारे लिये भेद बनी हुई थी।

    उत्पत्ती कि पुस्तक कि तरह हि हनोक ने अपनी पुस्तक में बताया है कि कुल  200 स्वर्गदूत, जिन्हें परमेश्वर ने पृथ्वी पर नजर रखने के लिये नियुक्त किया था, मानव पुत्रियों  पर मोहित हो गये थे और धरती पर उतरकर उन्होंने अपनी-अपनी पसंद कि लडकीयों से विवाह कर लिया था  ( 1 हनोक 6:1) हनोक कि पुस्तक में यह भी बताया गया है कि इन स्वर्गदुतों ने मनुष्य कि पुत्रियों   से संतान भी उत्पन्न कर ली थी  (1 हनोक 7:1)

                 ध्यान देने यह योग्य है कि बायबल स्पष्ट रूप से इस बात को बताती है कि आदम और हव्वा को निष्कासित करने के बाद परमेश्वर ने अदन कि वाटिका के मार्ग का पहरा देने के लिये  "करूबों " या दूसरे शब्दों में कहा जाये तो  "पहरेदारों" या "पहरुओ" को नियुक्त कर दिया था         (उत्प.3:24 )  अत:उत्पत्ती कि पुस्तक में दिया गया यह विवरण स्पष्ट रूप से हमें इस बात के प्रमाण उपलब्ध कराता है कि परमेश्वर द्वारा कुछ स्वर्गदूतों को या पहरूओं को मनुष्यो के उपर नजर रखने के लिये नियुक्त किया था।

              परन्तु यह एक अत्यंत उल्लेखनीय तथ्य है कि उत्पत्ती कि पुस्तक के तीसरे अध्याय के बाद बायबल इस इस विषय में कुछ भी आगे नही बताती है। हम उत्पत्ती के छठे अध्याय में सीधे परमेश्वर के पुत्रों या स्वर्गदूतों द्वारा मानव पुत्रियों  के साथ विवाह करने का विवरण पढ़ते है..परन्तु उत्पत्ती के तीसरे और छठे अध्याय के मध्य क्या हुआ था यह खोई हुई  कड़ी केवल हनोक कि पुस्तक के द्वारा हि जुड़ती है। 

        हनोक ने अपनी पुस्तक में स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि जिन करूबों  या स्वर्गदूतों को परमेश्वर द्वारा पृथ्वी पर नजर रखने के लिये रखा गया था उनकी संख्या 200 थी  ( 1 हनोक 6:6 ) हनोक ने इन 200 स्वर्गदूतों का विस्तुत विवरण अपनी पुस्तक में प्रस्तुत किया है कि इन 200 में से 19 इनके उच्च अधिकारी थे और इनका सबका अधिकारी "समयाज़ा" नामक स्वर्गदूत था - "वे सब मिलाकर दो सौ थे ;..... और ये उनके अगुवों के नाम है: समयाज़ा, उनका अधिकारी, अराकलबा, रमील, कोकाबलेल, तमलेल, रमलेल, दानेल, इजे़कील, बाराकीजल, असाएल, अरमारॉस, बतारेल, अनानेल, ज़कलेले, समसापील, सतारेल, तूरेल, जोमजेल, साराइल। ये दस-दस पर मुखिया थे " ( हनोक [ खण्ड 1] 6:6,7 ) .


                  हनोक ने अपनी पुस्तक में बताया है कि ये 200 स्वर्गदूत, जो परमेश्वर द्वारा पृथ्वी पर मनुष्यों पर नजर  रखने के लिये नियुक्त किये थे, उन्होंने जब मानव पुत्रियों को देखा तो उनकी सुन्दरता पर ये मोहित हो गये, और इन 200 ने हर्मोन पर्वत पर उतरकर परमेश्वर के विरुध्द जाने का निर्णय लिया और एका करके जिस-जिस को जो मानव कन्या पसंद थी उससे विवाह कर संताने उत्पन्न कर ली           

                - "और उन दिनों में जब मनुष्य भूमि पर बढने लगे और उनके सुन्दर और आकर्षक बेटीयां उत्पन्न हुई . और स्वर्गदूतों, स्वर्ग कि संतानों, ने उनको देखा और उनका लालच किया, और एक दूसरे कहा: आओ, हम मनुष्यो कि संतानों में से अपने लिये पत्नीयां चुन  लें और संताने उत्पन्न करें . और  समयाज़ा, जो उनका अगुवा था, ने उनसे कहा : मुझे भय है कि तुम सब यह काम करने के लिये राजी नही हो, और मुझे अकेले ही इस महापाप का दण्ड भुगतान पडेगा।      और उन सबने उसको उत्तर दिया और कहा: आओ हम सन शपथ खाए, और सब अपने आप को परस्पर श्राप से बांध लें कि इस योजना का परित्याग न करें परन्तु इस कार्य को करें।   तब उन सबने  शपथ खाई और उस पर परस्पर श्राप से स्वयं को बांध लिया. और वे सब दो सौ थे,  जो येरेद के दिनों में हर्मोन पर्वत पर उतरे थे, और उन्होंने उसे हर्मोन पर्वत कहा, क्योंकी उसके ऊपर हि उन्होंने शपथ खाकर स्वयं को परस्पर श्राप से बांधा  था" ( हनोक [ खण्ड 1] 6:1-7 ). 


सर्प का वंश








                     

                       अत: जो बात उत्पत्ती कि पुस्तक के छठे अध्याय में बताई गईहै, उस घटना का क्रम हनोक कि पुस्तक से हमको जानने को मिलता है। बायबल में स्पष्ट रूप से यह भी बताया गया है कि परमेश्वर के पुत्रों या  स्वर्गदूतों ने मानव पुत्रियों से विवाह कर संताने भी उत्पन्न कर ली थी - और इसके पश्चात जब परमेश्वर के पुत्र मनुष्य पुत्रियों के पास गये तब उनके द्वारा जो पुत्र उत्पन्न हुए वे शूरवीर [हीब्रू -गिब्बोरीम ] होते थे, जिनकी कीर्ती प्राचीनकाल से प्रचलित है     ( उत्प.6:4 ) .

उत्पत्ती कि पुस्तक बताती है कि स्वर्गदूत और मानव पुत्रियों के सहवास से गिब्बोरीम का  संतान के रूप में जन्म हुआ था।  हनोक ने अपनी पुस्तक में बताया है कि इन गिब्बोरीम का कद 36 फीट तक हुआ करता था '  ( हनोक [खण्ड 1]  7:3)  

                     और ये भयानक रूप से शक्तिशाली हुआ करते थे . और इन गिब्बोरीमों ने मनुष्यों पर भयानक अत्याचार करने आरम्भ कर दिये थे।  यानि  स्वर्गदूतों और मानव पुत्रियोंके डी एन ए से जन्में प्राणी मनुष्य न होकर कुछ और ही थे।  इन  स्वर्गदूतों ने मानव पुत्रियों से सहवास कर मानव डी एन ए को दूषित कर दिया था और पृथ्वी पर एक ऐसी प्रजाती को विकसित कर दिया था जिसका परमेश्वर कि योजना में कोई स्थान नही था।



 


Previous Post
Next Post
Related Posts